
Mirza Ghalib Ghazal -Tum Jaano Tum Ko Gair Se
बचते नहीं मुवाख़ज़ा-ए-रोज-ए-हश्र सेक़ातिल अगर रक़ीब है तो तुम गवाह हो क्या वो भी बे-गुनह-कुश ओ हक़-ना-शनास हैंमाना कि तुम बशर नहीं ख़ुर्शीद ओ […]
बचते नहीं मुवाख़ज़ा-ए-रोज-ए-हश्र सेक़ातिल अगर रक़ीब है तो तुम गवाह हो क्या वो भी बे-गुनह-कुश ओ हक़-ना-शनास हैंमाना कि तुम बशर नहीं ख़ुर्शीद ओ […]
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