बैठे बैठे यूँ ही क़लम ले कर
मैंने काग़ज़ के एक कोने पर – निदा फ़ाज़ली
Baithe – Baithe Yun Hi Kalam Lekar
Maine Kagaz Ke Ek Kone Par – Nida Fazli
तरफ़-दारी बहुत करता है तेरी
क़लम तेरा दीवाना हो गया है – आक़िब जावेद
Tarafdari Bahut Karta Hai Teri
Kalam Tera Deewana Ho Gaya Hai – Aaquib Javed
Pen Shayari In Hindi | कलम पर शायरी
तुझ पे मरते हैं ज़िंदगी अब भी
झूट लिक्खें तो ये क़लम टूटे – सूर्यभानु गुप्त
Tujhpe Marte Hai Zindagi Ab Bhi
Jhooth Likhe Toh Ye Kalam Toote – Surybhanu Gupt
क़लम को इस लिए तलवार करना
कि बढ़ के ज़ुल्म पर है वार करना – सबीहा सबा
Kalam Ko Isliye Talwaar Karna
Ki Badh Ke Zulm Par Hai Vaar Karna – Sabeeha Saba
Pen Shayari In Hindi | कलम पर शायरी
हर इक के दुख पे जो अहल-ए-क़लम तड़पता था
ख़ुद उस का अपना हर इक दर्द उस पे हँसता था – तिफ़्ल दारा
Har Ik Ke Dukh Pe Jo Ahal-e-Kalam Tadapta Hai
Khud Uska Haq Apna Har Ik Dard Us Pe Hasata Tha – Tifl Saara
क़लम भी रौशनाई दे रहा है
मुझे अपनी कमाई दे रहा है – मुस्तफ़ा शहाब
Kalam Bhi Roshanayi De Raha Hai
Mujhe Apni Kamayi De Raha Hai – Mustafa Shahaab
Pen Shayari In Hindi | कलम पर शायरी
बच्चों की फ़ीस उन की किताबें क़लम दवात
मेरी ग़रीब आँखों में स्कूल चुभ गया – मुनव्वर राना
Baccho Ki Fees Un Ki Kitaabein Kalam Dawaat
Meri Gareeb Aankho Me School Chubh Gaya – Munavvar Rana
अश्कों में क़लम डुबो रहा है
फ़नकार जवान हो रहा है – सैफ़ ज़ुल्फ़ी
Ashqo Me Kamal Dubo Raha Hai
Fankaar Jawaan Ho Raha Hai – Saif Zulfi
Pen Shayari In Hindi | कलम पर शायरी
क़लम में ज़ोर जितना है जुदाई की बदौलत है
मिलन के बाद लिखने वाले लिखना छोड़ देते हैं – शुजा ख़ावर
Kalam Me Jor Jitna Hai Judaai Ki Badaulat Hai
Milan Ke Baad Likhne Waale Likhna Chhod Dete Hai – Shuja Khavar
कागज़ कलम और किताब
कहाँ-कहाँ नही रखता तेरी यादों का हिसाब
Kagaz, Kalam Aur Kitaab
Kahan-Kahan Nahi Rakhta Teri Yaadon Ka Hissab
कल का हर वाक़िआ तुम्हारा थाआज की दास्ताँ हमारी है – गुलज़ार Kal Ka Har…
सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्ताँ हमाराहम बुलबुलें हैं इस की ये गुलसिताँ हमारा Saare Jahan…
जलवों की साजिशों को न रखो हिजाब में,ये बिजलियाँ हैं रुक न सकेंगीं नक़ाब में…
कोई पूछेगा जिस दिन वाक़ई ये ज़िंदगी क्या हैज़मीं से एक मुट्ठी ख़ाक ले कर…
तमाम उम्र मैं आँसू बहाऊँगा ‘अख़्तर’तमाम उम्र ये सदमा रहेगा मेरे साथ – अख़्तर अंसारी…
कमबख्त ये इश्क ही है,जो बार-बार मोबाइल उठाते है Kambakhat Ye Ishq Hi HaiJo Baar-Baar…