
Achchai Shayari In Hindi | अच्छाई पर शायरी
अच्छाई से नाता जोड़ वर्ना फिर पछताएगा
उल्टे-सीधे धंदे छोड़ वर्ना फिर पछताएगा – अज़ीज़ अन्सारी
Achchai Se Naata Jod Apna Phir Pachtayega
Ulte SeedheDhandhe Chod Varna Phir Pachtayega – Aziz Ansari
कुछ रोज ही सही पर मेरे नाम का हिस्सा रहा है वो,
अच्छा नही की अब उसे बदनाम करु
Kuch Roz Hi Sahi Par Mere Naam Ka Hissa Raha Hai Wo
Achcha Nahi Ki Ab Use Badnaam Karun
तुम्ही ने कौन सी अच्छाई की है
चलो माना कि मैं अच्छा नहीं था – अमजद इस्लाम अमजद
अजनबी बनकर निकल जाओ तो अच्छा है,
सुलग जाती है उम्मीदें बेवजह
फ़सलें काट बुराई की
अच्छाई को बोया कर– अज़ीज़ अन्सारी
ख़्यालों की सियासत करते हों लोग जहाँ,
वहाँ हम बेख़्याल रहें तो अच्छा है
मेरी अच्छाई की सनद ये है
ख़ुद को सब से ख़राब लिखती हूँ – सुमन ढींगरा दुग्गल
लोग बहुत अच्छे होते हैं,
अगर हमारा वक्त अच्छा हो तो
अब नहीं मिलना किसी से भी पसंद
सब की अच्छाई बुराई देख ली – जगत मोहन लाल रवाँ
अच्छा हुआ कि तूने हमें तोड़ कर रख दिया,
घमण्ड भी तो बहुत था हमें तेरे होने का
चाहता हूँ इस क़दर तुझ को कि अब
हर बुराई तेरी अच्छाई लगे – संतोष खिरवड़कर
Achchha Shayari
मोहब्बत थी तो चाँद अच्छा था ,
उतर गई तो दाग दिखने लगे
“ये बहुत अच्छा शौक़ है।”
“इसकी अच्छाई या बुराई का मैंने कभी नहीं सोचा।” -सआदत हसन मंटो
चलो अच्छा हुआ, जो तुम मेरे दर पे नहीं आए,
तुम झुकते नहीं और मैं चौखटें ऊँची कर नहीं पाता
ज़माना एहतिरामन घूम जाता है उसी जानिब
जो अच्छाई को इक इंसान रत्ती भर बदलता है – एहसान अकबर
तुम्ही ने कौन सी अच्छाई की है
चलो माना कि मैं अच्छा नहीं था – अमजद इस्लाम अमजद
इस बार मिली है जो नतीजे में बुराई
काम आई है अपनी कोई अच्छाई हमारे – ज़फ़र इक़बाल
हमारे शहर को तेरी बड़ी ज़रूरत है
इधर भी आ कभी अच्छाई बाँटने वाले – हनीफ़ राही
एक मा’मूली सी अच्छाई तराशी है बहुत
और फ़िक्र-ए-ख़ाम से सर्फ़-ए-नज़र उस ने किया – परवीन शाकिर
न-जाने इतनी कड़वाहट कहाँ से आ गई मुझ में
करे जो मेरी अच्छाई मुझे अच्छा नहीं लगता – आमिर अमीर
Achi Soch Shayri | soch shayari | अच्छी सोच शायरी
मुझ से अच्छाई भी न कर मेरी मर्ज़ी के ख़िलाफ़
वर्ना मैं भी हाथ कोई दूसरा कर जाऊँगा – ज़फ़र इक़बाल
बुरे लोगों में अच्छाई का उंसुर भी तो होता है
हिफ़ाज़त गर गुलों की ख़ार न करते तो क्या करते – साहिल अजमेरी
इतनी लज़ीज़ तर थीं ग़लत-कारियाँ ‘सबा’
मिल कर गले बुराई से अच्छाई छिन गई – अलीम सबा नवेदी
शर आज ज़फ़र-याब है मालूम नहीं क्यों
अच्छाई तह-ए-आब है मालूम नहीं क्यों – शमशाद शाद
ये अच्छाई में भी ‘साबिर’ बुराई ढूँड लेती है
ये दुनिया है अलिफ़ पर भी कभी शोशा बनाती है – साबिर शाह साबिर
चाँदी का बदन सोने का मन ढूँड रहा है
औरों मैं ही अच्छाई का धन ढूँढ रहा है – प्रताप सोमवंशी
जिस को हो ए’तिराज़ वो नज़रें समेट ले
इस दौर में बुराई भी अच्छाई हो गई – मासूम अंसारी
अब बड़े लोगों से अच्छाई की उम्मीद न कर
कैसे मुमकिन है करैला कोई मीठा कर ले – मुनव्वर राना
ले गए शौक़ से मरहूम की हर शय अहबाब
छोड़ दी ताक़ के ऊपर ही अच्छाई उस की – जावेद शाहीन
वो औरों की इक इक अच्छाई को हथिया लेते हैं
और फिर उस हथियार को ले कर जब वो चलते हैं – मजीद अमजद
शुक्रिया तुम ने बुझाया मिरी हस्ती का चराग़
तुम सज़ा-वार नहीं तुम ने तो अच्छाई की – अफ़ीफ़ सिराज
शुक्रिया तुम ने बुझाया मिरी हस्ती का चराग़
तुम सज़ा-वार नहीं तुम ने तो अच्छाई की – अफ़ीफ़ सिराज
दिल-लगी है इब्तिदा-ए-दिलबरी
चाहतों में छेड़-छाड़ अच्छाई है – मन्नान बिजनोरी
वक़्त के हाथ में है खोटे खरे की तस्दीक़
आप अच्छे हैं तो अच्छाई का दा’वा न करें – ख़लीलुर्रहमान राज़
अच्छे लफ़्ज़ों से नवाज़े या वो रुस्वाई करे
उस को हक़ है कि बुराई करे अच्छाई करे – नियाज़ हुसैन लखवेरा
Read More –